‘जैन समाज’ को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्याक समाज का दर्जा प्राप्त होने से जैन समाज का हर एक घटक सक्षम होगा और जैन समाज का सर्वांगीण विकास होगा। लेकिन यह तभी सम्भव है जब अल्पसंख्यांक विषय पर जैन समाज मैं जागरूकता आयेगी और सरकार द्वारा घोषित योजनाओं की जानकारी समाज तक पहुँचेगी।
केंद्र सरकार की इस राजपत्रिय अधिसुचना से 'जैन' धर्म के स्वतंत्र अस्तित्व की पुष्टि के साथ-साथ जैन समाजको एवं जैन समाज के सभी धार्मिक संस्थान तथा शैक्षणिक संस्थानों को संविधान की धारा 25 से 30 तक मे वर्णित विशेषाधिकार एवं संरक्षण भी प्राप्त हुए है ।
सभी प्रमुख शहरों मैं जैन अल्पसंख्याक फेडरेशन के माध्यम से, अल्पसंख्याक दर्जा मिलने से जैन समाजको प्राप्त होने वाली सुविधाओं और योजनाओं की जानकारी देने हेतु विशेष कार्यालय की स्थापना की जायेगी। जहाँ समाजके लोगों को योजनाओं से अवगत कराया जायेगा, जिसके लिये विभिन्न किताबे एवं दरमहा मॅगेझीन प्रकाशित की जा रही है।